हिंदू धर्म का इतिहास दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है, जिसकी जड़ें 4,000 साल से अधिक पुरानी हैं। यह भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ था और यह विश्व में तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, जिसके अधिकांश अनुयाय भारत और नेपाल में निवास करते हैं। हिंदू धर्म का इतिहास एक जटिल और विविध है, जिसमें समय के साथ विभिन्न विश्वास, प्रथाएं और परंपराएं विकसित हुई हैं।
प्राचीन मूल:
हिंदू धर्म की उत्पत्ति को 2500 ईसा पूर्व में मौजूद इंदुस सभ्यता तक जोड़ा जा सकता है, जो लगभग 2500 ईसा पूर्व में मौजूद थी। यह सभ्यता सिंधु नदी के घाटी क्षेत्र में विकसित हुई थी और वहां के लोगों के धार्मिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रमुख तत्व था। इस सभ्यता में मूर्तिपूजा, यज्ञ, रूपांतरण, और धार्मिक संस्कृति के अन्य पहलुओं के प्रमाण मिलते हैं।
वेदिक काल:
वेदिक काल में, जो लगभग 1500 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व तक रहा, वेदों का महत्वपूर्ण विकास हुआ। वेदों को संस्कृत भाषा में लिखित समझा जाता है और यह धार्मिक मंत्र, गान, यज्ञ विधियाँ, और देवताओं के बारे में ज्ञान प्रदान करते हैं। वेदों में चार मुख्य संहिताएं हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद।
उपनिषद काल:
उपनिषद काल में, जो लगभग 800 ईसा पूर्व से 200 ईसा पूर्व तक रहा, वेदों के बाद का साहित्यिक काल था। उपनिषदों में आध्यात्मिक ज्ञान, ब्रह्म और आत्मा के विषय में विस्तारित विचार प्रदान किया गया है। उपनिषदों ने अद्वैत वेदांत की मूल विचारधारा की उत्पत्ति की, जिसमें ब्रह्म और आत्मा की एकता पर बल दिया जाता है।
इसके बाद के समयों में, भारतीय इतिहास और संस्कृति में विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परंपराएं विकसित हुईं, जिनमें विष्णुभक्ति, शिवभक्ति, शाक्त और अन्य सम्प्रदाय शामिल हैं। यह सभी परंपराएं हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण और प्रमुख अंग हैं और आज भी अनेक विभाजित समुदायों के रूप में मौजूद हैं।
इस प्रकार, हिंदू धर्म का इतिहास एक विस्तृत और उच्चतम आध्यात्मिक विचारधारा का इतिहास है, जो समय के साथ विकसित हुई है और भारतीय सभ्यता के महत्वपूर्ण हिस्से का हिस्सा रहा है।
अयोध्या का सच या मुसलमानो का पर्दाफाश
कहते हैं अयोध्या में राम जन्मे, वहीं खेले-कूदे, बड़े हुए, बनवास भेजे गये, लौटकर आये तो वहाँ राज भी किया। उनकी ज़िंदगी के हर पल को याद करने के लिए एक मंदिर बनाया गया। जहाँ खेले, वहाँ गुलेला मंदिर है। जहाँ पढ़ाई की, वहाँ वशिष्ठ मंदिर हैं। जहाँ बैठकर राज किया, वहाँ मंदिर है। जहाँ खाना खाया, वहाँ सीता रसोई है। जहाँ भरत रहे, वहाँ मंदिर है। हनुमान मंदिर है, कोप भवन है। सुमित्रा मंदिर है, दशरथ भवन है। ऐसे बीसियों मंदिर हैं, और इन सबकी उम्र 400-500 साल है। यानी ये मंदिर तब बने, जब हिंदुस्तान पर मुगल या मुसलमानों का राज रहा। अजीब है न! कैसे बनने दिये होंगे मुसलमानों ने ये मंदिर! उन्हें तो मंदिर तोड़ने के लिए याद किया जाता है। उनके रहते एक पूरा शहर मंदिरों में तब्दील होता रहा और उन्होंने कुछ नहीं किया! कैसे अताताई थे वे जो मंदिरों के लिए जमीन दे रहे थे! शायद वे लोग झूठे होंगे जो बताते हैं कि जहाँ गुलेला मंदिर बनना था, उसके लिए जमीन मुसलमान शासकों ने ही दी। दिगंबर अखाड़े में रखा वह दस्तावेज़ भी गलत ही होगा जिसमें लिखा है कि मुसलमान राजाओं ने मंदिरों के निर्माण के लिए 500 बीघा जमीन दी। न
Comments