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Showing posts from December, 2021

Father's Love

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 तुम और मैं पति पत्नी थे, तुम माँ बन गईं मैं पिता रह गया। तुमने घर सम्भाला, मैंने कमाई, लेकिन तुम "माँ के हाथ का खाना" बन गई, मैं कमाने वाला पिता रह गया। बच्चों को चोट लगी और तुमने गले लगाया, मैंने समझाया, तुम ममतामयी बन गई मैं पिता रह गया। बच्चों ने गलतियां कीं, तुम पक्ष ले कर "understanding Mom" बन गईं और मैं "पापा नहीं समझते" वाला पिता रह गया। "पापा नाराज होंगे" कह कर तुम बच्चों की बेस्ट फ्रेंड बन गईं, और मैं गुस्सा करने वाला पिता रह गया। तुम्हारे आंसू में मां का प्यार और मेरे छुपे हुए आंसुओं मे, मैं निष्ठुर पिता रह गया। तुम चंद्रमा की तरह शीतल बनतीं गईं, और पता नहीं कब मैं सूर्य की अग्नि सा पिता रह गया। तुम धरती माँ, भारत मां और मदर नेचर बनतीं गईं, और मैं जीवन को प्रारंभ करने का दायित्व लिए सिर्फ एक पिता रह गया... फिर भी न जाने क्यूं पिता पीछे रह जाता है माँ,  नौ महीने पालती है  पिता, 25 साल् पालता है  फिर भी न जाने क्यूं पिता पीछे रह जाता है माँ, बिना तानख्वाह घर का सारा काम  करती है  पिता, पूरी कमाई घर पे लुटा देता है  फिर भी न जाने क्यूं प

Makeover a try.(dowry Against).

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 10 लाख का दहेज़ 5 लाख का खाना घड़ी पहनायी अंगूठी पहनाई मंडे का खाना फिर सब सुसरालियो को कपड़े देना । बारात को खिलाना फिर बारात को जाते हुए भी साथ में खाना भेजना बेटी हो गई कोई सज़ा हो गई। और यह सब जब से शुरू होता है जबसे बातचीत यानी रिश्ता लगता है फिर कभी नन्द आ रही है, जेठानी आ रही है कभी चाची सास आ रही है मुमानी सास आ रही है टोलीया बना बना के आते हैं और बेटी की मां चेहरे पे हलकी सी मुस्कराहट लिए सब को आला से आला खाना पेश करती है सबका अच्छी तरह से वेलकम करती है फिर जाते टाइम सब लोगो को 500-500 रूपे भी दिए जाते है फिर मंगनी हो रही है बियाह ठहर रहा है फिर बारात के आदमी तय हो रहे है 500 लाए या 800 बाप का एक एक बाल कर्ज में डूब जाता है और बाप जब घर आता है शाम को तो बेटी सर दबाने बैठ जाती है कि मेरे बाप का बाल बाल मेरी वजह से कर्ज में डूबा है खुदा के वास्ते इन गंदे रस्म रिवाजों को खत्म कर दो ताकि हर बाप, कर्ज में डूबा ना हो व अपनी बेटी को इज़्ज़त से विदा कर सके। बदलाव एक कोशिश!

Keanu Reeves Real Story

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 ये मेट्रिक्स फ़िल्म के सुपरस्टार हैं- "कियानू रीव्ज़" 3 साल के थे तभी उनके सगे बाप ने उन्हें छोड़ दिया। ये तीन अलग-अलग सौतेले पिता के साथ रहते हुए बड़े हुए। बचपन में वे डिसलेक्सिया से पीड़ित थे।  एक गंभीर दुर्घटना में चोटिल होने के बाद उनका हॉकी का खिलाड़ी बनने का सपना चकनाचूर हो गया। उनकी एक बेटी जन्म लेते ही मर गई। उनकी पत्नी का कार एक्सीडेंट में निधन हो गया। उनके बेस्ट फ्रेंड रिवर फ़ीनिक्स ड्रग ओवरडोज के कारण नहीं रहे। उनकी सिस्टर को ल्यूकेमिया हो गया।  उनके साथ कोई बॉडीगार्ड नहीं रहता। कोई लग्जरी घर नहीं। वे एक साधारण से अपार्टमेंट में रहते हैं और अक्सर न्यूयॉर्क में उन्हें सबवे में यात्रा करते हुए देखा जा सकता है।  जब वह फिल्म लेक हाउस की शूटिंग कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि उनका कॉस्टयूम असिस्टेंट किसी को रोते हुए बता रहा था कि अगर उसने पैसे नहीं चुकाए तो उसका घर हाथ से निकल जाएगा। रीव्ज़ ने चुपचाप 20000 डॉलर उसके अकाउंट में ट्रांसफर करा दिए। 1997 में कुछ पपराजी पत्रकारों ने देखा कि सुबह-सुबह रीव्ज़ लॉस एंजिलस में किसी बेघर इंसान के साथ मॉर्निंग वॉक कर रहे थे, और कई घंटे तक

Mother

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 सर्दी में स्वयं जम गई, लेकिन अपने बच्चे को बचा गई...  ऐसी होती है मां । धन्य है ऐसी मां को जो कबूतर योनि में भी मानव से भी अधिक ममता व वात्सल्य की सीख दे गई।💐

The Emperor

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 एक बादशाह का एक मस्जिद के सामने से गुजरना हुआ उसने देखा अजान हो रही है मगर एक भी नमाजी नही आया ।बादशाह ने मुअज़्ज़िन से कहा की एक बार और अजान दो । दूसरी बार अजान सुन कर बहुत से मुसलमान वहाँ जमा हो गए और दुबारा अजान कैसे दी इस बात पर मुअज़्ज़िन से झगड़ने लगे । बादशाह ने कहा जब पहले अजान हुई तो नमाज के लिए नहीं आए दुसरी अजान सुनकर झगड़ा फसाद के लिये आ गये ।आज हम मुसलमानों का यही हाल है हमारे पास नमाज के लिए समय नहीं है । मौलवी या मुअज़्ज़िन से ज़रा सी गलती पर उनकी गलतियों पे गलती निकालने और झगड़ा करने का टाइम हैं । अल्लाह हमे फसादो से बचाऐ और नमाजी बनाऐ आमीन! A king was passing in front of a mosque, he saw azaan happening but not a single prayer came. The emperor asked the muezzin to give one more prayer. Hearing the azaan for the second time, many Muslims gathered there and started quarreling with the muezzin on how to give azaan again. The emperor said that when the first azaan took place, he did not come for namaz, after hearing the second azaan, the quarrel came for the quarrel. Thi

Poor Old Man

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 एक ठंडी रात में, एक अरबपति बाहर एक बूढ़े गरीब आदमी से मिला। उसने उससे पूछा, "क्या तुम्हें बाहर ठंड महसूस नहीं हो रही है, और तुमने कोई कोट भी नहीं पहना है?" बूढ़े ने जवाब दिया, "मेरे पास कोट नहीं है लेकिन मुझे इसकी आदत है।" अरबपति ने जवाब दिया, "मेरे लिए रुको। मैं अभी अपने घर जाता हूँ और तुम्हारे लिए एक कोट ले लाऊंगा।" वह बेचारा बहुत खुश हुआ और कहा कि वह उसका इंतजार करेगा। अरबपति अपने घर में घुस गया और वहां व्यस्त हो गया और गरीब आदमी को भूल गया। सुबह उसे उस गरीब बूढ़े व्यक्ति की याद आई और वह उसे खोजने निकला लेकिन ठंड के कारण उसे मृत पाया, लेकिन उसने एक चिट्ठी छोड़ी थी, जिसमे लिखा था कि, "जब मेरे पास कोई गर्म कपड़े नहीं थे, तो मेरे पास ठंड से लड़ने की मानसिक शक्ति थी। लेकिन जब आपने मुझे मेरी मदद करने का वादा किया, तो मैं आपके वादे से जुड़ गया और इसने मेरी मानसिक शक्ति को खत्म कर दिया। " अगर आप अपना वादा नहीं निभा सकते तो कुछ भी वादा न करें। यह आप के लिये जरूरी नहीं भी हो सकता है, लेकिन यह किसी और के लिए सब कुछ हो सकता है।    One cold night, a billi

We Learned to Cycle in Three Steps...

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 बचपन में हमने गांव में #साइकिल तीन चरणों में सीखी थी ,  पहला चरण   -   कैंची  दूसरा चरण    -   डंडा  तीसरा चरण   -   गद्दी ... तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था। #कैंची वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे। और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना #सीना_तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और क्लींङ क्लींङ करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है। आज की पीढ़ी इस "#एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "#जहाज" उड़ाने जैसा होता था। हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तुड़वाए है और गज़ब की बात ये है कि तब #दर्द भी नही होता था, गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए। अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। द

Helpless Old Woman

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 एक बिजली के पोल पर एक पर्ची लगी देख कर मैं करीब गया और लिखी तहरीर पढ़ने लगा  लिखा था  कृपया ज़रूर पढ़ें  इस रास्ते पर कल मेरा पचास रुपये का नोट गिर गया है, मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता ,जिसे भी मिले कृपया पहुंचा दे.....!!!!   पता +++.....***....... *****......****.....####... ये तहरीर पढ़ने के बाद मुझे बहुत हैरत हुई कि पचास का नोट किसी के लिए जब इतना ज़रूरी है तो तुरंत दर्ज पते पर पहुंच कर आवाज़ लगाई तो एक बूढ़ी औरत बाहर निकली,पूछने पर मालूम हुआ कि बड़ी बी अकेली रहती हैं.. मैंने कहा,, मां जी ,, आपका खोया हुआ नोट मुझे मिला है ...उसे देने आया हूं  ये सुनकर बड़ी बी रोते हुए कहने लगीं  बेटा.....!   अब तक करीब 70/75 लोग मुझे पचास का नोट दे गए हैं!   मैं अन पढ़, अकेली हूं और नज़र भी कमज़ोर है.. पता नहीं कौन बंदा मेरी इस हालत को देखकर मेरी मदद के लिए वो पर्ची लगा गया है  बहुत ज़िद करने पर बड़ी बी ने नोट तो ले लिया लेकिन एक विनती भी कर दी कि बेटा... जाते हुए वो पर्ची ज़रूर फाड़ कर फेंक देना!!  मैंने हां तो कर दिया लेकिन मेरे ज़मीर ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि इससे पहले भी सभी लोगों से बुढ

2 children had taken the revenge of Bhagat Singh

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14 दिसम्बर- 14 साल की 2 बच्चियों ने आज ही लिया था भगत सिंह का बदला क्रूर स्टीवेंस को मारा था।  वीरांगना शांति घोष और सुनीति चौधरी जिनके इतिहास को छिपा दिया नकली कलमकारों ने भारत की इन नारी शक्तियों को बारम्बार नमन जिन्होंने अपने पराक्रम से ये साबित किया है कि झूठा है वो गाना जिसमे कहीं कहा तो कहीं जबरन कहलवाया जाता है कि मिली थी आज़ादी हमें बिना खड्ग बिना ढाल. अमर बलिदानी भगत सिंह की फांसी का बदला लेने के लिए भारत की आज़ादी के क्रांतिकारी इतिहास की सबसे तरुण बालाएं शांति घोष और सुनीति चौधरी ने 14 दिसम्बर 1931 को त्रिपुरा के कोमिल्ला के जिला मजिस्ट्रेट CGB स्टीवन को गोली मार दी.. ये लड़कियां केवल 14 साल की थी..  दोनों CGB स्टीवन के बंगले पर तैराकी क्लब के लिए प्रार्थना पत्र लेकर गई और जैसे ही स्टीवन सामने आया वो दोनों माँ भवानी जैसे रौद्र रूप में आ गई. दोनों ने रिवोल्वर निकाल कर स्टीवन पर ताबड़ तोड़ गोलियां बरसा दी. स्टीवन वहीँ ढेर हो गया. इन युवा लड़कियों के साहसिकता पूर्ण कार्य से संपूर्ण देश ही नहीं बल्कि ब्रिटेन तक अचंभित और रोमांचित था..आइये जाने हमारे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सबसे

Campaign against Muslims(Jamiat Ulema-e-Hind)

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 मुसलमानों के विरुद्ध सरकारी संरक्षण में जारी घृणा अभियान और राजनीतिक हितों के लिए धर्म का दुरुपयोग, देश से सरासर दुश्मनी और बग़ावत : जमीअत उलमा हिंद की राष्ट्रीय कार्यसमिति का सत्तारूढ़ पार्टी से दो टूक     कोलकत्ता में आयोजित जमीअत  की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति ने मुसलमानों के संबंध में गलतफ़हमी के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने का फ़ैसला किया।  कोलकाता/ नई दिल्ली (11 दिसंबर 2021) जमीयत भवन कोलकाता के मौलाना असद मदनी हाल में जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यसमिति का दो दिवसीय महत्वपूर्ण सम्मेलन संपन्न हुआ। जिसका अंतिम चरण आज सुबह आयोजित हुआ। सम्मेलन में देश की वर्तमान सांप्रदायिक परिस्थिति पर विचार मंथन सहित एक दर्जन एजेंडों पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ और उनसे संबंधित जमीयत की जारी गतिविधियों का आंकलन किया गया।  पूर्व कार्यवाही को जमीयत उलमा ए हिंद के महासचिव  मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पढ़ा। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में जमीअत उलमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीअत उलमा ए हिंद का वास्तविक काम, देश व

Old Hindustan

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 चमन मे फूल,हाथों मे गुलाब रहने दो  मंदिर का भजन,मस्जिद मे अज़ान रहने दो, दो ही कौम है ज़िस्की बात दुनिया करती है  अरे अब तो ये हिन्दू ,ये मुसलमा रहने दो!  रंगो मे बांट-बांट कर बे रंग सा कर दिया है   बना दो तिरंगा और पुराना हिंदुस्तान रहने दो|  🌹 💕🤝🌹🇮🇳         Flowers in Chaman, let roses be in your hands Temple hymn, let there be azaan in the mosque, There are only two peoples that the world talks about Oh now this Hindu, let this Muslim be!   By dividing it into colors, it has become like a colorless Make the tricolor and let the old Hindustan remain.

Azad Hind Fauj(General Shahnawaz Khan)

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 लाल किले पर पहला तिरंगा फहराने वाले आजाद हिंद फौज के क्रांतिकारी जनरल शहनवाज़ खान 9 दिसंबर 1983 को वफ़ात हुई।  1943 में सुभाष चंद्र बोष के आज़ाद हिन्द फौज में शामिल हुए जिसकी वजह से उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर के उनपर देशद्रोह का मुक़दमा चलाया और लाल किले में उनका कोर्ट मार्शल करके कैद कर दिया गया। जब देश आजाद हुआ तो शहनवाज़ खान ने ही दिल्ली के लाल किले पर से ब्रिटिश झंडा उतारकर फेंका और तिरंगा फहरा दिया। शाहनवाज ख़ान ने मशहूर बॉलीवुड एक्टर शाहरूख खान की मां को गोद लिया था, इनका घर परिवार रावलपिंडी में ही था इसलिए बंटवारे के बाद इनका आधा परिवार वंही रह गया लेकिन शहनवाज खान अपना परिवार छोड़कर हिन्दोस्तान में ही रहना पसंद किया उनका एक बेटा उनके साथ रहा। और आखरी सांस तक यही रहे इसी मिट्टी में दफ़न हो गए उनकी वफ़ात के बाद उन्हें जामा मस्ज़िद के पास क़ब्रिस्तान में दफ़नाया गया।           Revolutionary General Shahnawaz Khan of Azad Hind Fauj, who hoisted the first tricolor at the Red Fort, died on 9 December 1983. In 1943 he joined the Azad Hind Fauj of Subhash Chandra Bosh, due to which he was ar

Truth of Babri Masjid And Ram Mandir

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 कहते हैं अयोध्या में राम जन्मे, वहीं खेले-कूदे .. बड़े हुए, बनवास भेजे गए, लौट कर आए तो वहां राज भी किया, उनकी जिंदगी के हर पल को याद करने के लिए एक मंदिर बनाया गया, जहां खेले, वहां गुलेला मंदिर है, जहां पढ़ाई की वहां वशिष्ठ मंदिर हैं । जहां बैठकर राज किया वहां मंदिर है । जहां खाना खाया वहां सीता रसोई है। जहां भरत रहे वहां मंदिर है। हनुमान मंदिर , कोप भवन है। सुमित्रा मंदिर और दशरथ भवन है। ऐसे बीसीयों मंदिर हैं। और इन सबकी उम्र 400-500 साल है। यानी ये मंदिर तब बने जब हिंदुस्तान पर मुगल या मुसलमानों का राज रहा। अजीब है न! कैसे बनने दिए होंगे मुसलमानों ने ये मंदिर! उन्हें तो मंदिर तोड़ने के लिए याद किया जाता है। उनके रहते एक पूरा शहर मंदिरों में तब्दील होता रहा और उन्होंने कुछ नहीं किया ! कैसे अताताई थे वे, जो मंदिरों के लिए जमीन दे रहे थे। शायद वे लोग झूठे होंगे जो बताते हैं कि जहां गुलेला मंदिर बनना था उसके लिए जमीन मुसलमान शासकों ने ही दी। दिगंबर अखाड़े में रखा वह दस्तावेज भी गलत ही होगा जिसमें लिखा है कि मुसलमान राजाओं ने मंदिरों के बनाने के लिए 500 बीघा जमीन दी। निर्मोही अखाड़े के

Courageous people,

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 जांबाज लोग, चीते और जयपुर... यह फोटो जयपुर के एक आलीशान हॉटल की लॉबी में लगी हुई है...  हाल ही जब मैं वहाँ गया तो इसे आपके लिए ले आया... गौर से देखिए इसे... इसमें कुछ शिकारी लोग हैं जो इतने जांबाज थे कि चीते पालते थे...  चीता भारत के जंगलों में अंतिम बार 1969 में देखा गया था, उसके बाद यह जीव भारत में कभी नहीं देखा गया... यह अब अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के जंगलों में पाया जाता है...चीता दुनिया का सबसे फुर्तीला और तेज दौड़ने व लपक वाला जीव होता है... अभी कुछ 80-100 साल पहले तक जयपुर में कुछ शिकारी लोग इन्हें अपने घर पर पालते थे और खाट से बाँधकर रखते थे... उनका एक मोहल्ला (चीतावतान) भी था पुराने जयपुर में... जो आज भी मौजूद है... वे स्थानीय राजाओं और अंग्रेज अफसरों के लिए जंगली जीवों का शिकार इनसे करवाते थे...शिकार मुख्यतः आधुनिक साँगानेर और विद्याधर नगर के बीच में होता था...या फ़िर नाहरगढ़-झालाना में...चीते उनके आदेश पर हिरण मारकर अपने मालिक को सौंप देते थे... यह कला (कला ही थी यह) अफगानिस्तान और अफ्रीका से जयपुर पहुँची थी...अब ना कला है ना कलाकार... हम अपनी विरासतों व परम्पराओं को किस तरह स

Mughals robbers

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 मुग़ल लुटेरे थे ? आईए देखते हैं कि इन लुटेरे मुग़लों ने देश को कैसे लूटा ? मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के वक़्त पूरे दुनिया की एक चौथाई जीडीपी सिर्फ हिंदुस्तान के पास थी। जो हैसियत आज अमेरिका की है उससे कहीं ज़्यादा उस वक़्त हिंदुस्तान की हैसियत पूरे दुनिया में थी। अकबर के शासनकाल में हिंदुस्तान का घरेलू उत्पाद ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के साम्राज्य से कई गुना बेहतर था. आर्थिक इतिहासकार एंगस मैडिसन के मुताबिक, मुगलकालीन भारत का प्रति व्यक्ति उत्पादन (per capita output) उस समय के इंग्लैंड और फ्रांस से बेहतर थी। शाहजहाँ के वक़्त में हिंदुस्तान का आर्किटेक्चर पूरे दुनिया में अपने चरम पर था उस वक़्त हिन्दुस्तान का आर्किटेक्चर उतना ही मशहूर था जितना आज का दुबई। सन 1640 ई. में एक  शाहजहानी रुपए की कीमत आज के भारतीय रुपए से लगभग 500 गुना ज्यादा थी। जो आज भी पूरी दुनिया मे किसी देश की करंसी से दोगुना है यूरोपियन यात्रियों के ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं उस वक़्त हिंदुस्तान के भव्य मुग़ल सल्तनत की चकाचौंध को देखकर यूरोपियन लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाती थी। उस वक़्त लखनऊ, दिल्ली और हैदराबाद को वो दर्जा ह