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एक और पलायन (तथा कथित हिंदू वादी सरकार): मोहम्मद ज़ाहिद

 



काश्मीर में 1989 जैसे हालात हैं , काश्मीरी पंडितों ने 20 दिन के आंदोलन के बाद आज से ही पलायन का ऐलान कर दिया है ऐसा दोनों बार देश में हिन्दूवादी कट्टर महानायकों की सरकार रहते हुआ और हो रहा है। दरअसल तब के और आज के पलायन कर रहे काश्मीरी पंडितों का पलायन इसलिए भी अधिक शर्मनाक है क्युँकि दोनों समय में दोनों जगह की सत्ता उनके साथ ही रही और उनकी संरक्षक बन कर रही।




1989 में काश्मीर में संघी जगमोहन वहां राज्यपाल था और केन्द्र में भाजपा के इशारे पर नाचने वाली वीपी सिंह की सरकार थी तो आज 800 साल बाद बनी परम प्रतापी शुद्ध हिन्दूवादी नरेन्द्र मोदी और राज्य में उनके सखा राज्यपाल मनोज सिन्हा का राजपाट है। मेरी केन्द्र सरकार से मांग है कि इनका सुरक्षित पलायन कराया जाए , दिल्ली के पाश एरिया में इनके लिए बंग्लो की व्यवस्था की जाए , काश्मीरी पंडितों के बच्चों की उच्चस्तरीय मुफ्त शिक्षा और आरक्षण के साथ साथ नौकरी में आरक्षण कोटा निर्धारित किया जाए , मासिक भत्तों और वेतन की व्यवस्था की जाए।

क्यूँ कि कल कुछ सौ सालों बाद कोई अक्षय कुमार इनकी वीरता पर फिल्म बना कर अपनी जन्मभूमि के लिए लड़ाई लड़ते हुए शहीद हो जाने वाली कौम बताएगा तो उस फिल्म में कम से कम यह सच तो होना ही चाहिए कि तबके हिन्दू हृदय सम्राट ने इनकी मदद की थी। और फिर इन पर बनी एक झूठी फिल्म पर जब इतना पैसा और समय खर्च हो सकता है तो यह वीर तो हांडमांस के इंसान ही हैं। और जब सावरकर वीर हो सकता है तो यह क्यूँ नहीं ?


नोट : किसी भी लेखक का लेख उसकी निजी राय है फर्स्टटॉक इंडिया की उस से सहमति होना ज़रूरी नही है ।

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