अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) भारतीय इतिहास एक सुल्तान थे
अलाउद्दीन खिलजी का मंगोलों के साथ युद्ध भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना था। 1297 ईस्वी में, जब अलाउद्दीन खिलजी का शासनकाल चल रहा था, उनकी सत्ता को मंगोलों के हमले का सामना करना पड़ा। मंगोल लंगरों की सेना, जिसका नेतृत्व टिमूर लंग कर रहे थे, उत्तरी भारत में आक्रमण कर रही थी।
अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी सेना को विचारशीलता, योग्यता और अच्छी तैयारी के साथ संगठित किया। उन्होंने अपनी सेना को पहले ही से अच्छी तरह से तैयार किया था जानते हुए कि मंगोलों का आक्रमण आधिकारिकता और आक्रमक रहता था।
अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी सेना को दिल्ली के किले में बसाया और यहां से अपने सेनापति उल्लुखान अखबर के नेतृत्व में मंगोल सेना के खिलाफ विपरीत युद्ध की योजना बनाई। अलाउद्दीन खिलजी की सेना में मुख्य रूप से मुस्लिम सैनिकों का होना उन्हें लाभ प्रदान करता था, क्योंकि वे मंगोल सेना के साम्राज्य के विरुद्ध मजबूत खुदाई थे।
1298 ईस्वी में, अलाउद्दीन खिलजी की सेना और मंगोल सेना के बीच जानलेवा युद्ध हुआ। अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी योजना को कामयाब बनाया और मंगोलों को पराजित कर दिया। यह युद्ध दिल्ली सल्तनत के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ क्योंकि इससे मंगोल संघर्ष कमजोर हो गया और अलाउद्दीन खिलजी की सत्ता सुरक्षित रही।
अलाउद्दीन खिलजी के मंगोलों के खिलाफ युद्ध के बाद, उन्होंने दिल्ली सल्तनत को मजबूती से चलाया और अपनी सत्ता को स्थायी किया। उनके शासनकाल में दिल्ली सल्तनत अपने गर्वशील सम्राटों की विरासत को संभालने के लिए मजबूत हुई और उनके युद्धीय कार्यक्रम ने उन्हें एक महान सैन्य नेता के रूप में प्रमाणित किया।
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