ज़िले को दंगे से बचाने वाले एसएसपी प्रभाकर चौधरी को मिली सज़ा।
कांवड़िए जिद पर अड़े थे कि मस्जिद के बाहर से ही DJ बजता हुआ जाएगा। मुस्लिमों को इस पर आपत्ति थी। ऐसे में पुलिस चाहती थी कि विवाद न बढ़े। कांवड़िए अपनी जिद लेकर धरने पर बैठ गए। फिर पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
दरअसल कवड़िये तय रूट से अलग नए रास्ते पर जा रहे थे
एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने कहा कि कुछ कांवड़िए नशे में थे, उनके पास कट्टा था। इतना कहने के बाद वह घर भी नहीं पहुंचे होंगे कि उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
पिछले 10 साल में उनका 21 बार ट्रांसफर हो चुका है
प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के IPS ऑफिसर हैं।* सिर्फ 10 साल की नौकरी में आज उनका 21वा ट्रांसफर हुआ है।
अधिकतम तैनाती 1 साल मेरठ रही। बाकी अन्य जिलों में 4–6 महीने से ज्यादा नहीं रहे।
अधिकारियों–नेताओं का कभी दबाव नहीं माना। करप्शन को लेकर अपने पुलिसकर्मियों पर सबसे ज्यादा एक्शन लिए।
मेरठ में चोरी के वाहन कटान का सबसे बड़ा कमेला "सोतीगंज" IPS प्रभाकर चौधरी ने अपने बूते बंद कराया। खुद PM नरेंद्र मोदी ने तारीफ की थी।
बुलंदशहर में गोहत्या पर हिंसा हुई। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार शहीद हुए।
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