Campaign against Muslims(Jamiat Ulema-e-Hind)
मुसलमानों के विरुद्ध सरकारी संरक्षण में जारी घृणा अभियान और राजनीतिक हितों के लिए धर्म का दुरुपयोग, देश से सरासर दुश्मनी और बग़ावत :
जमीअत उलमा हिंद की राष्ट्रीय कार्यसमिति का सत्तारूढ़ पार्टी से दो टूक
कोलकत्ता में आयोजित जमीअत की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति ने मुसलमानों के संबंध में गलतफ़हमी के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने का फ़ैसला किया।
कोलकाता/ नई दिल्ली (11 दिसंबर 2021)
जमीयत भवन कोलकाता के मौलाना असद मदनी हाल में जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यसमिति का दो दिवसीय महत्वपूर्ण सम्मेलन संपन्न हुआ। जिसका अंतिम चरण आज सुबह आयोजित हुआ। सम्मेलन में देश की वर्तमान सांप्रदायिक परिस्थिति पर विचार मंथन सहित एक दर्जन एजेंडों पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ और उनसे संबंधित जमीयत की जारी गतिविधियों का आंकलन किया गया।
पूर्व कार्यवाही को जमीयत उलमा ए हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पढ़ा। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में जमीअत उलमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीअत उलमा ए हिंद का वास्तविक काम, देश व मिल्लत का मार्गदर्शन है। जमीयत उलमा ए हिंद ने देश की स्वतंत्रता और उसके बाद, देश बंटवारे के अवसर पर मिल्लत का मार्गदर्शन करके अपने कर्तव्य को बखूबी निभाया था जो इतिहास में हमारे लिए गौरव गाथा है।
आज की वर्तमान परिस्थितियाँ अत्यधिक चिंताजनक हैं। यह बहुत दुख की बात है कि इस देश में जनाब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के महान व्यक्तित्व का सार्वजनिक रूप से अपमान किया गया है। और उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई, ऐसे अवसर पर हम यह कह कर बच नहीं सकते कि सिर्फ चुनाव के लिए घृणा के बीज बोए जाते हैं बल्कि मुसलमान और उसकी धार्मिक पहचानों पर हमला, सार्वजनिक रूप अपनाता जा रहा है। ऐसे समय में जमीयत उलमा ए हिंद को अपनी ज़िम्मेदारी अदा करनी होगी और उसे आगे आकर स्थितियों का मुकाबला करना होगा। इसके अलावा ऐसे प्रोग्राम तय करने होंगे जिनके माध्यम से आपसी घृणा का वातावरण समाप्त किया जाए और गलतफहमियों की जो दीवार खड़ी की गई है उसे ध्वस्त किया जा सके और यह सब गलतफहमियों के समाधान के बगैर संभव नहीं है। इसलिए राष्ट्रीय कार्यसमिति ने अपने सम्मेलन में अत्यधिक विचार मंथन के बाद यह तय किया कि सीरत वह दूसरे विचाराधीन समस्याओं और शीर्षकों पर पत्र पत्रिकाएं और संक्षिप्त वीडियो तैयार करने के लिए जमीयत उलमा ए हिंद के पुराने विभाग दावते इस्लाम को तय किया जाए और इस संबंध में भविष्य के प्लान तैयार किए जाएं। इसके अलावा रसूल के अपमान के दोषियों के लिए विधिवत सज़ा दिलाने से संबंधित कानूनी कदमों का आंकलन किया गया और तय हुआ कि सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में जमीअत उलमा ए हिंद की ओर से जो प्रार्थना पत्र दिया गया है उस पर और अधिक हर संभव प्रयास किए जाएं।
कार्यसमिति ने एक विशेष प्रस्ताव में सत्तारूढ़ पार्टी के संरक्षण में जारी घृणा अभियान और राजनीतिक हितों के लिए धर्म के दुरुपयोग को देश से सरासर दुश्मनी और बग़ावत करार दिया इसलिए प्रस्ताव में कहा गया है कि
'' राजनीतिक अभिप्राय और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए धर्म और धार्मिक प्रतीकों का शोषण, हमारे देश की राजनीति का अत्यधिक निंदनीय स्वरूप बनता जा रहा है। राजनीति में अवसरवादी हितों और चुनाव में वोट बटोरने के लिए बहुसंख्यक वर्ग को खुश करना और उत्तेजित नारों के माध्यम से उसका समर्थन प्राप्त करना और मुसलमानों तथा उनकी वास्तविक मांगों से दृष्टि फेरना भी इसी राजनीतिक हथकंडे का भाग है।
राष्ट्रीय कार्यसमिति ने आगे प्रस्ताव में मुस्लिम दुश्मन तत्वों की सरकार के समर्थन और हौसला अफ़जाई पर तीव्र टिप्पणी की और कहा है कि
'' मुसलमानों को उत्तेजित करने के लिए इस्लामी मूल्यों - सिद्धांतों, मस्जिदों, नमाज़ और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के व्यक्तित्व का अपमान करने की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं और सरकार व प्रशासन की तरफ से ऐसे तत्वों का समर्थन व उनका हौसला बढ़ाया जा रहा है। दूसरी तरफ मुसलमानों को उत्तेजित करके उनको दीवार से लगाने और अलग-थलग करने की कोशिशें बहुत समय से की जा रही हैं।
हालांकि मुस्लिम और इस्लाम दुश्मनी के खुले तौर पर और सामूहिक रूप से प्रदर्शन के कारण,विश्व स्तर पर अपने देश की बदनामी हो रही है और पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की घृणात्मक, संकुचित धार्मिक कट्टरपंथी छवि बन रही है। इसके कारण विभिन्न देशों के साथ हमारे पुराने संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्म पर हिंदुस्तान विरोधी तत्वों को अपना एजेंडा आगे बढ़ाने का अवसर मिल रहा है।
ऐसी परिस्थितियों में देश की अखंडता और उन्नति के संदर्भ से जमीयत उलमा ए हिंद सत्तारूढ़ पार्टी का ध्यान आकर्षित करना चाहती है कि वह तुरंत ऐसे कदम और पॉलिसियों से बाज़ आए जो कि लोकतंत्र, न्याय और भाईचारे के सिद्धांतों के विरुद्ध है और केवल मुस्लिम और इस्लाम दुश्मनी पर आधारित हैं। यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि बहुसंख्यकों के धार्मिक विचारों को उत्तेजित करके अपने अस्तित्व को स्थापित रखना, देश के साथ वफादारी और मोहब्बत के बजाय, सरासर दुश्मनी और बग़ावत है।
सत्ताधारी वर्ग को यह भी मालूम होना चाहिए कि मुसलमानों के खिलाफ़ नफ़रत फैलाने वाले तत्वों की निंदनीय- घटिया हरकतों की वजह से देश की तरक्की के कदमों पर पानी फिर गया है और उनके लाभ पीछे चले गए हैं। यह देश, मुसलमानों को उपेक्षित करके कभी भी खुशहाल और विकासशील नहीं बन सकता।
जमीयत उलेमा ए हिंद ने न्याय प्रिय और देश मित्र लोगों, संस्थाओं और ग्रुपों से अपील की है कि '' प्रतिक्रिया और उत्तेजक विचारों वाली राजनीति को छोड़ते हुए, एकजुट होकर, कट्टरवादी और फ़ासिज़्म वादी शक्तियों का, राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर मुकाबला करें और देश में भाईचारा, आपसी सद्भाव और न्याय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर संभव संघर्ष करें।
नौजवानों के लिए एक विशेष संदेश
उम्मत के नौजवानों और विद्यार्थियों के संगठनों को हम विशेष रूप से चेता देना चाहते हैं कि वह आंतरिक व बाहरी देश दुश्मन तत्वों के, प्रत्यक्ष रूप से निशाने पर हैं, उन्हें (नौजवानों को) निराश करने, भड़काने और गुमराह (भ्रमित) करने का हर हथकंडा इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारे सामने सैकड़ों मुस्लिम नौजवानों का उदाहरण है जिन्हें जिहाद के नाम पर धोखा देकर फंसाया गया या आतंकवाद के झूठे आरोप लगाकर जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया। इसलिए विशेषरूप से मुस्लिम नौजवानों को चाहिए कि वह जेहाद के नाम पर किसी चाल - धोखे का शिकार न हों और अपने महापुरुषों पर पूरा विश्वास करते हुए उनकी बातों पर अमल करें।
वर्तमान समय की आवश्यकता है कि हम अपनी बिगाड़ी गई छवि को बदलें और देश व मिल्ली तथा दीनी जागरुकता की आपसी एकता के साथ, शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक रूप से स्वस्थ, बहादुर और जान न्यौछावर करने वाला, मानवता और मित्रता, और देश के वफादार नागरिक का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें जिस पर हमारे देश तथा कौम को गर्व हो।
हमें अपने नौजवानों को ऐसे रूप में सुदृढ़ करना चाहिए कि देश में आने वाली आपदाओं, विपदाओं, घटनाओं या बाहरी आक्रमणकारियों का मुकाबला करने में वह सबसे आगे और सक्षम हों।
इसके अलावा राष्ट्रीय कार्यसमिति में फरवरी के अंतिम सप्ताह में कार्यसमिति का राष्ट्रीय सम्मेलन करने का भी निर्णय किया गया। कार्यसमिति में विशेष रुप से जमीयत की ज़िला स्तरीय शाखाओं को मजबूत और सक्रिय करने, मिल्लत फंड की स्थापना से संबंधित व्यवहारिक प्रोग्राम और योजनाएं पेश की गईं और इनको स्वीकृत किया गया। जमीयत एजुकेशन फाउंडेशन के तहत मदरसों के विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा व सर्टिफिकेट से सुसज्जित करने का जारी अभियान, घृणात्मक अपराध का विरोध, दीनी तालीमी बोर्ड, इस्लाहे मआशरा, वोटर्स जागरूकता अभियान, जमीयत यूथ क्लब और लीगल सेल की रिपोर्टें पेश हुईं। जिन पर कार्यसमिति ने संतोष व्यक्त किया।
इस अवसर पर अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद मौलाना मदनी ने सम्मेलन के आयोजन और समिति के पदाधिकारियों की आमद और स्वागत के लिए जमीअत उलेमा पश्चिमी बंगाल के अध्यक्ष मौलाना सद्दीकुल्लाह चौधरी और उनके सभी साथियों का धन्यवाद अदा किया। मौलाना सद्दीकुल्लाह चौधरी ने सारे कार्य समिति के पदाधिकारियों को मोमेंटो पेश किया और लंबे समय के बाद कोलकाता में जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय सम्मेलन कार्यसमिति के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की।
इस अवसर पर कार्यसमिति के सम्मेलन के दौरान एक चरण ऐसा भी रखा गया जिसमें पश्चिमी बंगाल की ज़िला शाखाओं के पदाधिकारियों ने भाग लिया और उनके समक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद के विभिन्न विभागों की रिपोर्ट पेश हुई।
सम्मेलन में अध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद मौलाना महमूद मदनी और राष्ट्रीय महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी के अलावा विशेष रुप से मुफ़्ती अबुल कासिम नोमानी, मोहतमिम व शैखुल हदीस दारुल उलूम देवबंद, मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी, नायब अमीरउल हिंद मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी, मौलाना सद्दीकुल्लाह चौधरी, मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद राशिद आज़मी नायब मोहतमिम दारुल उलूम देवबंद, मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी, मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी, मौलाना शौकत अली वेट, मुफ़्ती मोहम्मद जावेद इकबाल क़ासमी, मौलाना नियाज़ अहमद फारूकी, क़ारी मोहम्मद अमीन, मुफ़्ती अब्दुल रहमान नौगांवा सादात, मुफ़्ती अहमद देवला गुजरात, मौलाना मोहम्मद आकिल गढ़ी दौलत, डॉक्टर मसूद आजमी, मौलाना सिराजुद्दीन मोईनी अजमेरी नदवी, दरगाह अजमेर शरीफ , और मुफ़्ती इफ्तिखार क़ासमी कर्नाटक , मौलाना अब्दुल्लाह मारुफी, मौलाना मोहम्मद नाज़िम, हाजी मोहम्मद हसन चेन्नई, मौलाना मनसूर काशफी तमिलनाडु, मुफ़्ती शमसुद्दीन बिजली, मौलाना मोहम्मWद इब्राहिम केरल, हाजी मोहम्मद हारुन, मौलाना अब्दुल कुददूस पालनपुरी, मौलाना कलीम उल्लाह खान क़ासमी, हाफिज उबैदुल्लाह बनारस ने भाग लिया।
Hate campaign against Muslims under government protection and misuse of religion for political interests, sheer enmity and rebellion against the country:
Jamiat Ulama Hind's National Working Committee bluntly criticized the ruling party
The National Executive Committee of the Jamiat, held in Kolkata, decided to take necessary steps to resolve the misconceptions regarding Muslims.
Kolkata/ New Delhi (11 December 2021)
A two-day important conference of the National Working Committee was concluded under the chairmanship of Maulana Mahmood Madani, President of Jamiat Ulama-e-Hind at Maulana Asad Madani Hall of Jamiat Bhawan Kolkata. The last phase of which was held this morning. In the conference, a dozen agendas including brainstorming on the current communal situation of the country were discussed in detail and the ongoing activities of the Jamiat related to them were assessed.
The earlier proceedings were read out by Maulana Hakimuddin Qasmi, general secretary of Jamiat Ulama-e-Hind. In his presidential address on the occasion, Maulana Mahmood Madani, National President of Jamiat Ulama Hind said that the real work of Jamiat Ulama-e-Hind is the guidance of the country and Millat. Jamiat Ulama-e-Hind had done its duty very well by guiding Millat on the occasion of the country's independence and after that, the partition of the country, which is a proud saga for us in history.
The present circumstances are very worrying. It is very sad that the great personality of Janab Rasulullah Sallallahu Alaihi Wasallam has been publicly insulted in this country. And no action was taken on it, on such an occasion we cannot escape by saying that the seeds of hatred are sown only for the sake of elections, but the attack on Muslims and their religious identities is being adopted publicly. In such times Jamiat Ulama-e-Hind will have to fulfill its responsibility and it will have to come forward and face the situations. Apart from this, such programs will have to be decided through which the atmosphere of mutual hatred can be ended and the wall of misunderstanding that has been built can be demolished and all this is not possible without the resolution of the misunderstandings. Therefore, the National Working Committee, after much deliberation in its conference, decided that the old department of Jamiat Ulama-e-Hind, Dawte Islam, to prepare magazines and short videos on other issues and topics under consideration, decided that Seerat and in this regard Prepare future plans. Apart from this, the legal steps related to giving proper punishment to the guilty of insulting the Rasool were assessed and it was decided that every effort was made in the Supreme Court on the application given by Jamiat Ulama-e-Hind in this regard. be done.
The Working Committee, in a special resolution, termed the ongoing hate campaign under the patronage of the ruling party and the misuse of religion for political interests as sheer enmity and rebellion against the country.
“The exploitation of religion and religious symbols for political purposes and purposes is becoming a highly condemnable form of politics in our country. Opportunistic interests in politics and appeasing the majority class to garner votes in elections and to get their support through provocative slogans and to divert eyes from Muslims and their real demands are also part of this political tactic.
The National Working Committee further made a sharp comment on the support and encouragement of the Muslim enemy elements in the resolution and said that
"Instances of insulting Islamic values - principles, mosques, prayers and personality of Rasool Allah Sallallaho Alaihi Wasallam are increasing day by day to incite Muslims and the government and administration have supported and encouraged such elements. He is going. On the other hand, attempts have been made for a long time to incite Muslims to wall them up and isolate them.
However, due to open and collective display of Muslim and Islam enmity, the country is being defamed globally and India's hateful, narrow religious fundamentalist image is being created all over the world. Due to this, our old relations with various countries are being negatively affected and anti-India elements are getting an opportunity to advance their agenda on the international platform.
In such circumstances Jamiat Ulama-e-Hind would like to draw the attention of the ruling party that it should immediately desist from such steps and policies which are against the principles of democracy, justice and brotherhood and only Muslims and Islam. based on enmity. It should be borne in mind that maintaining our existence by stimulating the religious views of the majority, rather than loyalty and love for the country, is sheer enmity and rebellion.
The ruling class should also know that the country's progress has been dented and their gains have gone backward due to the reprehensible acts of elements spreading hatred against Muslims. This country can never become happy and developing by neglecting Muslims.
Jamiat Ulema-e-Hind has appealed to justice-loving and country-friendly people, institutions and groups to "stand unitedly, at the political and social level, to fight the fundamentalist and fascist forces, leaving behind the politics of reaction and provocative ideas and Make every effort to fulfill the needs of brotherhood, mutual harmony and justice in the country.
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